हिंदी कहानी – अठारवाँ उंट खोजो
अरब में एक बुढा आदमी रहा करता था, जिसके तीन बेटे थे! वह पशुपालक था इसलिए उसके पास सत्रह ऊंट थे! जब उस बूढे का अंत समय आया तो उसने अपनी एक वसीयत लिख कर अपने बेटों को दे दी।
कुछ दिनों के बाद वह गुजर गया। जब उसके तीनो बेटों ने उसकी वसीयत खोलकर पड़ी तो उन्होंने पाया की उसमे लिखा था की सबसे बड़े बेटे को सत्रह ऊँटों में से आधे मिलने चाहियें, उससे छोटे बेटे को सत्रह ऊँटों का एक तिहाई ऊंट मिलने चाहियें और, सबसे छोटे बेटे को सत्रह ऊँटों का नवां हिस्सा मिलना चाहिए!
सत्रह ऊँटों को आधे हिस्से में, या एक तिहाई हिस्से में या फिर नवें हिस्से में बटना संभव नहीं था! इसलिए तीनो में झगड़ा होने लगा!!! आखिरकार तीनो ने फैसला किया की वह किसी बुज़ुर्ग की मदद लेंगे!
वे गाव के एक बुज़ुर्ग और समझदार व्यक्ति के पास गए, और उन्हें अपने पिता के वसीयत बता दी! कुछ देर सोचने के बाद उस बुज़ुर्ग ने अपना एक ऊंट मंगवाया और उन सत्रह ऊँटों में मिला दिया। अब कुल ऊँटों की संख्या बढ़कर अठारह हो गयी!
वसीयत पढकर उन्होंने, बेटों को ऊंट बटना शुरू किये
अठारह का आधा यानि की नो ऊंट उन्होंने सबसे बड़े बेटे को दिए!
अठारह का एक तिहाई यानि की छह ऊंट उन्होंने मंझले बेटे को दिए!
अठारह का नोवां हिस्सा यानि दो ऊंट उन्होंने सबसे छोटे बेटे को दिए!
इस तरह कुल 17 ऊंट उन्होंने बेटों में बाँट दिए, अब आखिर में एक ऊंट बचा जो की उनका ही था, वह उन्होंने वापस ले लिया!
किसी भी समस्या का हल खोजने का, किसी समझोते पर पहुँचने का तरीका है, अठारवाँ उंट मिलाना, मतलब किसी एसी बात से शुरू करना जिस पर सभी पक्ष सहमत हों! इसके बाद इसमें और सहमती की बातें मिलाते हुए समस्या का हल खोजा जा सकता है!
समस्या को हल करने से पहले, यह मान कर चलें की, इसका कोई वास्तविक हल है, अगर हम यह सोचेंगे की इस समस्या को कोई हल ही नहीं है, तो हम उस तक पहुचने की कोशिश ही नहीं करेंगे!!!
अरब में एक बुढा आदमी रहा करता था, जिसके तीन बेटे थे! वह पशुपालक था इसलिए उसके पास सत्रह ऊंट थे! जब उस बूढे का अंत समय आया तो उसने अपनी एक वसीयत लिख कर अपने बेटों को दे दी।
कुछ दिनों के बाद वह गुजर गया। जब उसके तीनो बेटों ने उसकी वसीयत खोलकर पड़ी तो उन्होंने पाया की उसमे लिखा था की सबसे बड़े बेटे को सत्रह ऊँटों में से आधे मिलने चाहियें, उससे छोटे बेटे को सत्रह ऊँटों का एक तिहाई ऊंट मिलने चाहियें और, सबसे छोटे बेटे को सत्रह ऊँटों का नवां हिस्सा मिलना चाहिए!
सत्रह ऊँटों को आधे हिस्से में, या एक तिहाई हिस्से में या फिर नवें हिस्से में बटना संभव नहीं था! इसलिए तीनो में झगड़ा होने लगा!!! आखिरकार तीनो ने फैसला किया की वह किसी बुज़ुर्ग की मदद लेंगे!
वे गाव के एक बुज़ुर्ग और समझदार व्यक्ति के पास गए, और उन्हें अपने पिता के वसीयत बता दी! कुछ देर सोचने के बाद उस बुज़ुर्ग ने अपना एक ऊंट मंगवाया और उन सत्रह ऊँटों में मिला दिया। अब कुल ऊँटों की संख्या बढ़कर अठारह हो गयी!
वसीयत पढकर उन्होंने, बेटों को ऊंट बटना शुरू किये
अठारह का आधा यानि की नो ऊंट उन्होंने सबसे बड़े बेटे को दिए!
अठारह का एक तिहाई यानि की छह ऊंट उन्होंने मंझले बेटे को दिए!
अठारह का नोवां हिस्सा यानि दो ऊंट उन्होंने सबसे छोटे बेटे को दिए!
इस तरह कुल 17 ऊंट उन्होंने बेटों में बाँट दिए, अब आखिर में एक ऊंट बचा जो की उनका ही था, वह उन्होंने वापस ले लिया!
किसी भी समस्या का हल खोजने का, किसी समझोते पर पहुँचने का तरीका है, अठारवाँ उंट मिलाना, मतलब किसी एसी बात से शुरू करना जिस पर सभी पक्ष सहमत हों! इसके बाद इसमें और सहमती की बातें मिलाते हुए समस्या का हल खोजा जा सकता है!
समस्या को हल करने से पहले, यह मान कर चलें की, इसका कोई वास्तविक हल है, अगर हम यह सोचेंगे की इस समस्या को कोई हल ही नहीं है, तो हम उस तक पहुचने की कोशिश ही नहीं करेंगे!!!
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